महोबा /उत्तर प्रदेश :योगी सरकार गौशालाओं को आदर्श बनाने की बातें कर रही है वहीं महोबा जिले के सुगिरा ग्राम पंचायत की गौशाला में गायों की स्थिति दयनीय है। गौशाला में गाय खून के आंसू रो रही हैं। गौशाला गायों के लिए अभिशाप बनी है जिसकी तस्वीर रूह कंपा देने वाली है। कई दिनों से गौशाला के अंदर गायों के शव पड़े है । कई गाय इतने दर्द में है कि उनकी आंखों से आंसू नहीं खून निकल रहा है। कड़ाके की ठंड में कांपती गायें अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रही हैं। शासन द्वारा गोवंश की रक्षा और उनके भरण-पोषण के लिए दिए गए दिशा-निर्देश यहां निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं।कुलपहाड़ तहसील के सुगिरा गांव की गौशाला में भीषण ठंड में गिरती ओस, सर्द हवाएं और उचित देखभाल के अभाव में गायों का जीवन खतरे में है। खुले आसमान के नीचे गायों को ठंड से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं ,जमीन में गोबर और गंदगी कई महीनों से साफ तक नहीं हुई । गोबर कीचड़ के कारण गाय एक मिनट भी जमीन पर नहीं बैठ नहीं पाती। भीषण ठंड से बचाव के लिए एक छोटे से कमरे में सैकड़ा भर गाय घुस जाती है जो बाहर रह जाती ही उनकी ठंड से मौत हो जाती है । गायों की गंभीर शारीरिक स्थिति साफ बताती है कि उन्हें भरपेट चारा भूसा भी नहीं मिल पा रहा। हालात यह हैं कि कई गायें उठने तक की स्थिति में नहीं हैं। वहीं आधा दर्जन गायों के शव भी गौशाला में पड़े हुए है। गौशाला में गायों की गंभीर स्थिति को देखकर ग्रामीण बेहद चिंतित हैं और गौशाला की स्थिति सुधारने की मांग कर रहे है।अपनी कारगुजारियों और भ्रष्टाचार को लेकर सुगिरा ग्राम पंचायत आए दिन चर्चा में रहता है लेकिन इस बार जो तस्वीरे ग्राम पंचायत सुगिरा के गौशाला से सामने आई हैं वह हैरान कर देने वाली है। गौशाला में उचित देखभाल और पोषण की कमी के कारण गायें ठंड और कमजोरी का शिकार हो रही हैं। गौशाला के लिए मिलने वाले धन को ठिकाने लगाने के लिए कागजों में देखभाल के लिए कुछ लोगों को रखा गया मगर यहां किसी के न रहने से तकरीबन डेढ़ सौ गायों की देखभाल नहीं हो रही। सारी गाय भगवान के भरोसे जी रही है । गौशाला में कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं था। यदि था तो केवल सन्नाटा और खामोशी, गायों की लाचारी और खून के आंसू रोती गायों की वह दुखद तस्वीर जिसे देखकर लोगों का दिल भी दहल गया। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी सारी गायों के लिए पीने के पानी के लिए बनाई गई चिरहई खाली नजर आई जबकि दूसरी चिरहई नाकाफी ही पानी था। गायों को उनकी मात्रा के विपरीत सिर्फ सूखा भूसा ही दिया जा रहा है। जिसमें ना तो किसी प्रकार का आटा मिलाया गया और ना ही किसी प्रकार का उनके लिए पौष्टिक आहार था लेकिन भूख के कारण सूखे भूसे को खाने के लिए मजबूर है।
गौशाला की दुर्गति तो हम आपको अब दिखाते हैं जब हमने एक कमरे में जाकर देखा तो जो हालात कमरे के अंदर के थे वह दिल दहला देने वाले थे। पूरा कमरा गोबर और कीचड़ से भरा हुआ था और उस पर गायों के शव पड़े हुए थे। यह शव कब से पड़े हैं इसका अंदाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि गायों की आंखें और कान तक कीड़े और कुत्ते खा गए। बदबू के बीच अन्य तड़पती गाय अपनी जान बचाने के लिए उसे कमरे में ही तड़प रही है और जो बाहर रह जाती थी उनकी ठंड के मारे हालत खराब हो रही है। गौशाला की स्थिति देखकर हर कोई दंग है। ग्रामीणों ने जो बताया उसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे।
लेकिन ठंड और बीमारी से सिसकती गायों को देखकर लगता है कि वे अपने जीवन की अंतिम सांसे गिन रही है। गौशाला में मौजूद गायों के शरीर पर लगे घाव इस बात की गवाही देते हैं कि यहां लंबे समय से पशु चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। एक गाय के शरीर से बहते खून ने प्रशासन और चिकित्सा विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। गौशाला में उचित देखभाल और पोषण की कमी के कारण ज्यादातर गायें ठंड और कमजोरी का शिकार हो रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार बड़ी संख्या में गाय गौशाला के अंदर अपना दम तोड़ रही हैं लेकिन जिम्मेदार कोई सुध नहीं ले रहे।गौशाला में पड़ी गायों के शवों का यदि पोस्टमार्टम कराया जाए तो यह स्पष्ट हो सकता था कि उनकी मौत का मुख्य कारण क्या है। स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर चिंतित हैं और गौशाला की स्थिति सुधारने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों के सवाल है कि सुगिरा की गौशाला में गायों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन है ? स्थानीय लोगों ने प्रशासन और उच्च अधिकारियों की ओर से इस मामले की जांच की मांग की है।बहरहाल गायों की इस स्थिति ने शासन और प्रशासन के उन दावों की पोल खोल दी है, जिनमें गोवंश की सुरक्षा और देखभाल का दावा किया गया था। मगर सुगिरा गांव की गौशाला में खून के आंसू रोती गायों की तस्वीर ने दावों की असल परत को खोल कर रख दिया जिसमें जिम्मेदार सिर्फ अपने स्वार्थ में बेजुबानों के जीवन का निवाला भी डकार रहे है।